खामोशियाँ झगड़ती है हम दोनो के दरमियाँ,
कर नही सकता अपना दर्द मैं बयाँ,
दिल की हालत आज कुछ अजीब सी है,
सिसकियाँ ले रहा है दिल... और होठों पे हँसी सी है ..!!
ज़ख़्म सी हो गयी है ज़िंदगी मेरी,
दर्द भी सिसकता है ज़रा खुशी पाकर,
वफ़ा की उम्मीद मैं करता किस से,
मेरा ही रहनुमा था कातिल मेरा ..!!
कितनी बदल गयी हो, तुम हालात की तरह,
अब जब भी मिलती हो, पहली मुलाकात की तरह,
मैं क्या अपने प्यार का सदका उतारता,
मुझे तुम्हारा प्यार भी मिला, तो खैरात की तरह ..!!
खामोशियों से लड़ते हुए ज़िंदगी में,
तन्हाइयों ने संभाला है मुझे,
मुद्दतों से थी जिस मंज़िल की तलाश,
आज उसी के रास्तों ने पुकारा है मुझे,
समेट रहा हूँ अपने होश-ओ-हवास,
लपेट तो लूँ अपने जज़्बातो को मैं,
इस दुनिया से उम्मीद करना है बेकार, कुछ पाना है मुश्किल,
साथ में ले तो लूँ, अपना साज़-ओ-सामान, अपना कफ़न तो मैं..!!
सोचता था मैं कि, ज़िंदगी बड़ी हसीन होगी,
मुझे क्या पता था कि मेरे प्यार की मौत इतनी संगीन होगी,
आज भी फिरता हू अपने प्यार की लाश को लेकर,
शायद अब इस लाश से ही मेरी रातें रंगीन होंगी..!!
पानी पर मैने भी आशियाँ बनाए है,
राहें मोहब्बत में क्या खूब धोखे मैनें खाए हैं,
जिसकी एक मुस्कुराहट पर मैनें लहू बहाए हैं,
वो ही मेरी मैयत पर आज हँसने आए हैं।
जिस पर ऐतबार मैं किया करता था,
जिस की उदासी में आँखें नम किया करता था,
उसे कबूल ना हुई मेरी खुशी इस कदर,
मुझे तन्हा छोड़ दिया, अनजाना बताकर ..!!
सहम जाता हूँ उन हसीन शामों को याद करके,
कुछ भी ना मिला मुझे, खुदा से फरियाद करके,
अब तो दर्द का भी नही होता, एहसास कभी,
जैसे साहिल की नही बुझती प्यास कभी..!!
अनजाना सा ताकता था मुझे मेरा ही साया,
थोड़ा ठहर कर सोचा कि, क्या खोया और क्या पाया,
झूठे साथी, नकली दोस्त, फरेबी रिश्ते,
ज़िंदगी के इस मोड़ पे, अपनी रूह तक को घायल पाया..!!
जिस बेटी को बोझ समझा उम्र भर मैनें,
आज का इस बूढ़े का बोझ उसी के कांधों पर है..!!
मेरी बर्बादी पर मत जाना तुम,
मैने शिकस्त खाकर फ़तेह पाई है..!!
वो ज़िंदगी के थपेड़े खा के फट चुकी मेरे ख्वाबों की चादर,
उसे अपने बचे हुए हौंसले से सीते हैं,
कौन कहता है हमें खुशी नही मयस्सर.?
चलो आज पैमाने में थोड़ा सा ग़म पीते हैं..!!
"तमाम उम्र का रिश्ता निभाने वाला...
बड़े नसीब से मिलता है चाहने वाला.."
प्यार था वो या एक फरेब था...
उन्हे मेरी मोहबत से ही गुरेज़ था..!!
वो ज़िंदगी के थपेड़े खा के फट चुकी मेरे ख्वाबों की चादर,
उसे अपने बचे हुए हौंसले से सीते हैं,
कौन कहता है हमें खुशी नही मयस्सर.?
चलो आज पैमाने में थोड़ा सा ग़म पीते हैं..!!
तेरी रहमतो में ना रही होगी कमी...... ए खुदा,
मुझे तो मेरी ही दुआओं पे शक़ है..!!
"तमाम उम्र का रिश्ता निभाने वाला...
बड़े नसीब से मिलता है चाहने वाला.."
प्यार था वो या एक फरेब था...
उन्हे मेरी मोहबत से ही गुरेज़ था..!!
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